चंद्रेश नारायणन. हममें से कितने लोगों को याद है 1999 का वर्ल्ड कप? मैं निश्चित तौर पर कह सकता हूं कि यह हर भारतीय के लिए दिल तोड़ने वाला था। भारतीय टीम ग्रुप मैच में जिम्बाब्वे से खेल रही थी। जीत के साथ यह तय होता कि टीम इंडिया अगले राउंड में पॉइंट लेकर जाएगी या नहीं। लेकिन फैंस को निराशा झेलनी पड़ी। टीम समय पर 50 ओवर नहीं फेंक सकी। टीम ने अतिरिक्त के तौर पर 51 रन दिए। ऐसे में टीम को 253 रन के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सिर्फ 46 ओवर मिले। टीम सिर्फ 3 रन से मैच हार गई और सेकंड स्टेज में इसी ने अंतर पैदा कर दिया।
टीम को ये पॉइंट नहीं मिले और हम नॉकआउट में जगह नहीं बना सके। यह स्लो ओवर रेट के नियम के कारण हुआ और आपको उस दिन उसकी कीमत चुकानी पड़ी। इसमें किसी तरह के जुर्माने की बात नहीं थी। टीम को इसकी कीमत चुकानी पड़ी। ऐसा क्या था कि समय पर ओवर फेंकने के लिए टीम सचेत नहीं थी। इसके बाद भी कई बार समय पर पूरे ओवर नहीं फेंके जा सके। उस समय यही कोशिश होती थी कि ओवर समय पर डाले जा सकें। उस समय जुर्माना लगाना भी संभव नहीं था क्योंकि खिलाड़ियों की सैलरी अधिक नहीं थी। ऐसे में ओवर में कटौती करना ही सही समझा गया।
आईपीएल में भयंकर स्लो ओवर रेट देखने को मिल रहा
20 साल बाद मैं यह बात आपको क्यों बता रहा हूं? यह आसानी से समझा जा सकता है कि इसका संबंध आईपीएल से है। हमें कई भयंकर स्लो ओवर रेट देखने को मिले। 20 ओवर के मैच को पूरा करने के लिए 4 घंटे लग रहे हैं। 7.30 बजे शुरू होने वाला मैच देर रात तक चल रहा है। विराट कोहली और श्रेयस अय्यर पर 12-12 लाख का जुर्माना भी लगाया गया। करोड़ों रुपए कमाने वाले खिलाड़ी के लिए 12 लाख क्या होता है? किसी भी परिस्थिति में जुर्माना फ्रेंचाइजी की ओर से ही दिया जाता है।
बेंगलुरु ने 2 घंटे में 20 ओवर फेंके
शनिवार को हुए पहले मैच में बेंगलुरु ने 20 ओवर फेंकने के लिए लगभग दो घंटे लिए। गर्मी और एनर्जी बचाने के लिए कुछ छूट दी जा सकती है, लेकिन 20 ओवर के लिए दो घंटे देना स्वीकार नहीं है। अंपायर अधिकतर भारतीय हैं। वे खौफ में दिखाई देते हैं और मैदान पर नियम लागू नहीं करा पाते हैं। खिलाड़ी गलत तरीके से वॉटर ब्रेक लेते हैं, इस वजह से और देरी होती है। अगर आप गेंद खोने की बात को मान भी लें तो एक टी20 मैच के लिए 4 घंटे उचित नहीं हैं। यह एक तरह का अपराध है। ऐसे में आईपीएल और बीसीसीआई को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि जो समय पर ओवर का कोटा पूरा नहीं करेगा, उस पर 1999 वाले मॉडल को अपनाया जाए।
5 ओवर कम फेंकने पर 4 ओवर कम खेलने को मिले
उदाहरण के तौर पर एक टीम पूरे समय में सिर्फ 15 ओवर ही फेंक पाती है तो उन्हें बल्लेबाजी के दौरान सिर्फ 16 ओवर दिए जाएं। इससे वे सही रास्ते पर आएंगे। कल्पना कीजिए कोई टीम 20 ओवर फेंकने के लिए दो घंटे का समय लेती है और 230 रन देती है। उसे लक्ष्य का पीछा करने के लिए सिर्फ 15 ओवर मिलते हैं। इसी तरह से वे सीखेंगे। जिस लीग में बहुत सारे पैसे दांव पर लगे हों। ऐसे में कम ओवर खेलकर हार मिलने पर ही टीमों में सुधार लाया जा सकता है। तब तक बीसीसीआई और टेलीविजन मजे करते रहेंगे क्योंकि इससे दोनों को फायदा होगा। एक के खाते में पैसे जाएंगे और दूसरा टीवी पर अधिक समय मैच दिखाकर पैसे कमाएगा। और फैंस का क्या? खैर इससे हमें और आपको कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि हम इसे गैर जिम्मेदाराना कहेंगे।
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