खेलाें में विश्व स्तर पर मेडल जीतकर देश का गाैरव बढ़ाने वाले कई खिलाड़ियाें के बुलंद हाैसले लाॅकडाउन में ढीले पड़ गए हैं।ऐसे खिलाड़ियों की फिटनेस ही नहीं, आजीविका भी प्रभावित हुई है।
ट्रेनिंग देने और जिम चलाने वाले खिलाड़ी पिछले दो महीने से खाली बैठे हैं। लाॅकडाउन बढ़ने के बाद इन्हें नहीं पता कि हालात कब सही होंगे। इनमें से कुछ को परिवार की मदद लेनी पड़ रही है, तो कुछ ने दूसरा काम शुरू कर दिया है।
ऐसे ही संघर्ष कर रहे कुछ खिलाड़ियों की कहानी...
कराते:कोचिंग बंद, उधार बढ़ा, और अब अनाज मांग रहीं हनी
ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी चैम्पियनशिप में मेडल जीतने वालींहनी गुर्जर लाॅकडाउन के कारण कोचिंग नहीं दे पा रही हैं। स्कूल व कराते के सभी सेंटर बंद हैं। ग्वालियर निवासी हनी की मां दिल की बीमारी से पीड़ित हैं।पिता अचार बेचते हैं, लेकिन उनका काम भी बंद है।
थोड़ी-बहुत बचत की राशि से कुछ दिन खर्च चला। अब संस्थाओं व लाेगों से मांगकर पेट भरना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि मेडल जीतने के बाद काफी सम्मान मिला, लेकिन आज मुझे हाथ फैलाने पड़ रहे हैं।
बाॅडी बिल्डिंग:संदीप बोले- जिम बंद, सब्जी बेचकर घर चलाऊंगा
दिव्यांग कैटेगरी में मिस्टर इंडिया रह चुके बाॅडीबिल्डर संदीप साहू का परिवार अब पूरी तरह माता-पिता पर निर्भर है। संदीप का जिम बंद है जो आजीविका का एकमात्र साधन है। उन्हें खुद को फिट रखने का संकट आ गया है। रायपुर निवासी संदीप ने नेशनल चैंपियनशिप में 13 गोल्ड मेडल जीते हैं। संदीप ने कहा-अब सब्जी बेचूंगा, जिससे घर चला सकूं।
शूटिंग:फर्ज नहीं भूलीं, ऑनलाइन ट्रेनिंग दे रही हैं शूटर राजकुमारी
मप्र एकेडमी की पहली अर्जुन अवॉर्डी शूटर राजकुमारी राठौर इंदौर के निजी स्कूल में शूटिंग सेंटर चलाती हैं। 17 इंटरनेशनल मेडल जीत चुकी राजकुमारी स्पोर्ट्स टीचर के तौर पर 50 स्कूली बच्चों को प्रशिक्षण देती हैं। लॉकडाउन के कारण दो माह से सैलरी नहीं मिली है। पिता और भाई की मदद से घर चला रही हैं।
राजकुमारी ने कहा मुझे सरकार से कोई मदद नहीं मिली। सरकार से अनुमति मिलने के बाद फिर से बच्चों की ट्रेनिंग शुरू करूंगी। अभी उन्हें ऑनलाइन ट्रेनिंग देती हूं।
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