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देश में खेल से जुड़े सामान के बाजार को 4700 करोड़ के घाटे की आशंका, अगले साल मार्च में ही हालात सुधरने की उम्मीद

कोरोनावायरस से देश का स्पोर्ट्स मार्केट बुरी तरह प्रभावित हुआ है। गर्मी में समर कैंप और अन्य खेलकूद की गतिविधियां होती थीं। वे भी लॉकडाउन के कारण शुरू नहीं हुईं। खेल के व्यापार और बाजार से जुड़े विशेषज्ञों की मानें तो देश में खेल से जुड़े सामान की इंडस्ट्री को 4700 करोड़ रु. का नुकसान होने की आशंका है। इसमें देश में बिकने वाले सामान के अलावा निर्यात होने वाले सामान की भी हिस्सेदारी है।

जालंधर मेंपूरे देश का 70% स्पोर्ट्स गुड्स बनता है। विशेषज्ञ कह रहे हैं कि इंडस्ट्री की हालत अब मार्च में ही सुधरेगी। मेरठ के हिंद स्पोर्ट्स के मालिक कुलदीप सिंंह कहते हैं, ‘इस साल ओलिंपिक सहित कई बड़े स्पोर्ट्स इवेंट होने वाले थे। मांग ज्यादा रहती इसलिए मार्केट भी पूरी तरह से तैयार था। लेकिन लॉकडाउन से संकट खड़ा हो गया। इससे उबरने में पूरा एक साल लगने वाला है।’

देश के खेल सामान का 60% निर्यात होता है

भारतीय स्पोर्ट्स गुड्स मैन्युफैक्चररर्स के अनुसार, देश में बनने वाले खेल सामान का 60% निर्यात होता है। मेरठ से निर्यात होने वाले सामान का हिस्सा 45% है। अप्रैल में मेरठ की कंपनियों को 200 करोड़ का नुकसान हुआ है।

अकेले मेरठ-जालंधर में 50 लाख मजदूर
जालंधर और मेरठ में कुल 4 हजार से ज्यादा कंपनियां है। ये इंडस्ट्री कुल 319 खेल सामग्री का निर्माण करती हैं। यहां करीब 50 लाख मजदूर-कारीगर काम करते हैं। इन्हें एक दिन की मजदूरी 300-400 रुपए मिलती है।

नुकसान की राज्यवार स्थिति

राज्य कितना नुकसान (रुपए में)
महाराष्ट्र 200 करोड़
राजस्थान 150 करोड़
मध्यप्रदेश 150 करोड़
पंजाब 100 करोड़
गुजरात 100 करोड़
उत्तरप्रदेश 60 करोड़
प.बंगाल 50 करोड़
छत्तीसगढ़ 40 करोड़

2 हजार करोड़ के क्रिकेट मार्केट का विकेट गिरा
इस साल क्रिकेट के सामान की बहुत ज्यादा खपत होने वाली थी क्योंकि आईपीएल के अलावा टी20 वर्ल्ड कप भी होना था। लेकिन इनके आयोजन पर संकट है। ऐसे में क्रिकेट के बाजार को दो हजार करोड़ रुपए के नुकसान का अनुमान है। इसमें भी क्रिकेट गुड्स की कंपनियों का 1300 करोड़ का स्पोर्ट्स इक्विपमेंट निर्यात होने वाला था।

ये सामान बनकर गोदामों में पड़ा

सामान संख्या
बल्ले 3.5 लाख
गेंद 2.7 लाख
विकेट 80 हजार
पैड्स 90 हजार
ग्लव्स 1 लाख
हेलमेट 1.25 लाख
किट 2 लाख

अन्य खेलों के मार्केट को 1500 करोड़ रु. का घाटा

फुटबॉल, बैडमिंटन, शतरंज, हॉकी, टेनिस, एथलेटिक्स, टेटे, वॉलीबॉल, फेंसिंग आदि खेलों का सामान बनाने वाले कारोबारियों के 1500 करोड़ डूबने की आशंका है। निर्यात न होने से इन खेलों का सामान भी गोदामों में भरा है। स्पोर्ट्सवियर बनाने वाली कंपनियों को भी 500 करोड़ का नुकसान हुआ है।

इन खेलों के बाजार को बड़ा नुकसान

खेल नुकसान (करोड़ रु. में)
क्रिकेट 2000
फुटबॉल 1200
टेनिस 500
बास्केटबॉल 300
बॉक्सिंग औरफेंसिंग 200
स्पोर्ट्स वियर 500


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मेरठ और जालंधर की कुछ कंपनियों ने लॉकडाउन के बाद प्रोडक्शन शुरू करने की तैयारी कर ली है।

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