संजीव गर्ग और एकनाथ पाठक.इंडियन क्रिकेटर्स एसोसिएशन (आईसीए) पूर्व फर्स्ट क्लास खिलाड़ियों की मदद के लिए आगे आया है। एसोसिएशन ने पिछले दिनों खिलाड़ियों की मदद के लिए फंडिंग शुरू की थी। पूर्व कप्तान कपिल देव और सुनील गावसकर ने भी मदद की थी। आईसीए ने 36 खिलाड़ियों को 31 लाख रुपए से ज्यादा की मदद दी है। इसमें 17 महिला खिलाड़ी हैं।
तीन पूर्व क्रिकेटर की विधवा को भी मदद दी गई। 20 खिलाड़ियों को 1-1 लाख, 8 को 80-80 हजार और 8 को 60-60 रुपए की मदद दी गई। आईसीए के अध्यक्ष अशोक मल्होत्रा ने कहा कि यह शुरुआत है। आगे अन्य क्रिकेटरों की भी मदद की जाएगी। सहायता पाने वाले खिलाड़ियों की कहानी...
रंजिता राणे: कैंसर से पीड़ित, फिर भी कहीं से मदद नहीं मिली
मुंबई की रंजिता राणे सीनियर नेशनल टूर्नामेंट खेल चुकी हैं। 1993 से 2003 तक क्रिकेट खेलीं। 42 साल की यह खिलाड़ी अभी कैंसर से पीड़ित है। उन्हें स्टेट एसोसिएशन और बीसीसीआई की ओर से अब तक कोई मदद नहीं मिली है। कोई पेंशन भी नहीं मिलती।
कैंसर के इलाज के लिए उन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। बतौर तेज गेंदबाज खेलने वाली रंजिता को आईसीए की ओर से एक लाख रुपए मिले हैं। लॉकडाउन के कारण इलाज में आने-जाने के लिए उन्हें दिक्कत आ रही है। वे अपनी बहन के यहां रहकर इलाज करा रही हैं।
इससे पुराने खिलाड़ियो को सहारा मिलता है: रंजिता
उन्होंने कहा कि इस तरह की सहायता से पुराने खिलाड़ियों को काफी सहारा मिलता है। इसी तरह अन्य दूसरे जरुरतमंद खिलाड़ियों की भी मदद की जानी चाहिए। रंजीता के अलावा मुंबई की निलिमा पाटिल को जबकि महाराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन से खेलने वाली भारती, चंद्राणी और ऊर्षाणली को भी आईसीए की ओर से एक-एक लाख रुपए की मदद मिली है।
एसके जिब्बू: कम मैच खेले हैं, इसलिए पेंशन नहीं मिलती है
राजस्थान के लिए रणजी खेलने वाले श्रीकृष्ण जिब्बू की 22 साल पहले मौत हो चुकी है। 80 साल की पत्नी मीता जिब्बू का चलना-फिरना बंद है। व्हीलचेयर से कभी-कभी परिवार के लोग घुमा लाते हैं। न बीसीसीआई से और न ही आरसीए से मदद मिलती है।
'आईसीए से मिली मदद से दवाई का खर्चा निकल जाएगा'
लगभग 8-10 हजार रुपए महीने का दवाई का खर्च है। बेटे अनिल ने बताया कि इंडियन क्रिकेटर्स एसोसिएशन से मिलने वाले 80 हजार रुपए से कुछ मदद हो जाएगी। आरसीए से 7.5 हजार रुपए महीने पेंशन शुरू हुए थी। 7-8 महीने मिली लेकिन उसके बाद पेंशन बंद हो गई। 25 से कम फर्स्ट क्लास मैच खेलने के कारण बीसीसीआई से कोई मदद नहीं मिलती।
राज्य के ही एक अन्य क्रिकेटर कौशल देवड़ा ने बताया कि वे बीकानेर जिला क्रिकेट संघ में कोचिंग का काम करते हैं। 8 हजार रुपए महीने मिलते हैं। लॉकडाउन में वो भी बंद हो गए। आरसीए से 5 हजार रुपए महीने पेंशन मिलती थी, वो भी काफी समय पहले बंद हो गई है।
देवराज गोविंदराज: रिटायरमेंट के बाद लंदन मेंबस चलाई थी
तेज गेंदबाज देवराज गोंविदराज ने 93 फर्स्ट क्लास मैच में 190 विकेट लिए। हैदराबाद के गोविंदराज को 1970-71 में विंडीज गई भारतीय टीम में जगह मिली थी। हालांकि वे एक भी मैच नहीं खेल सके। दौरे पर टीम इंडिया ने पहली बार वेस्टइंडीज में टेस्ट सीरीज जीती। उन्हें इंग्लैंड दौरे पर भी टीम में शामिल किया गया था। टीम में नहीं खेलने पर 73 साल के खिलाड़ी ने कहा कि उस दौरे पर टीम में अच्छे स्पिन गेंदबाजों की भरमार थी। इस कारण उन्हें इंटरनेशनल डेब्यू करने का मौका नहीं मिल सका।
वे लंदन में ही नौकरी करते थे। रिटायरमेंट के बाद उन्होंने कुछ दिन वहां बस भी चलाई। 2011 में देश लौटे। अब बीसीसीआई से बतौर पेंशन 22,500 रुपए मिलते हैं। कम पेंशन को लेकर उन्होंने बोर्ड अध्यक्ष सौरव गांगुली को पत्र लिखा है।
करिअर में खेले कुल मैच बोर्ड के रिकॉर्ड में कम होने के कारण कम पेंशन मिलती है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि लॉकडाउन के बाद उन्हें जरूर कोई जवाब मिलेगा।
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