Ticker

6/recent/ticker-posts

Header Ads Widget

मानव ठक्कर ने खेल के लिए 12 साल की उम्र में घर छोड़ा; टेटे दूसरा सबसे तेज खेल इसलिए अर्चना कामथ को यह पसंद

खेल डेस्क. हाल ही में इंटरनेशनल टेबल टेनिस फेडरेशन ने वर्ल्ड रैंकिंग जारी की थी। इसमें भारत के मानव ठक्कर अंडर-21 में दुनिया के नंबर-1 खिलाड़ी बने। वे अंडर-18 में भी टॉप पर पहुंच चुके हैं। अंडर-21 गर्ल्स कैटेगरी में अर्चना कामथ दुनिया की दूसरे नंबर की खिलाड़ी हैं। 19 साल के मानव और 20 साल की अर्चना पुर्तगाल में ओलिंपिक क्वालिफिकेशन में हिस्सा लेने वाली भारतीय टीम में हैं। पुरुष टीम का मुकाबला लग्जमबर्ग और महिला टीम का स्वीडन से होगा।

स्केटिंग और जिम्नास्टिक में भी मेडल जीत चुके हैं मानव

सवाल: अंडर-18 के बाद अब अंडर-21 में नंबर-1, ऐसे में क्या दबाव बढ़ गया है?
जवाब: मैं दोनों रैकिंग में नंबर-1 बनने वाला पहला भारतीय हूं। इसे मैंने उपलब्धि के दौर पर लिया है, दबाव के तौर पर नहीं। मैं हमेशा सकारात्मक सोचता हूं और अपने खेल पर ध्यान देता हूं।

सवाल: आपने टेबल टेनिस की शुरुआत कैसे की? इस खेल को ही क्यों चुना?
जवाब: मैं बचपन में स्केटिंग करता था। मैंने जिला स्तरीय टूर्नामेंट में स्केटिंग में मेडल भी जीते। इसके बाद जिम्नास्टिक में भी जिला और राज्य स्तरीय टूर्नामेंट में मेडल जीते। मेरे पेरेंट्स डॉक्टर हैं। उन्होंने कॉलेज लेवल पर टेबल टेनिस में मेडल जीते थे। ऐसे में मुझे यह खेल उन्हीं से मिला है। मैंने 6 साल की उम्र से यह खेल खेलना शुरू कर दिया था। कभी-कभी उनके साथ खेलता था। कुछ समय बाद मेरा इसी में मन लग गया और बाकी खेल छोड़ दिए।

सवाल: 2017 में अल्टीमेट टेबल टेनिस लीग शुरू हुई। इससे क्या बदलाव आया?
जवाब: अल्टीमेट टेबल टेनिस लीग ने मुझे अपने खेल को बेहतर बनाने में बहुत मदद की। इसके कारण मुझे टॉप खिलाड़ियों के साथ खेलने का मौका मिला। कई ओलिंपियन खिलाड़ियों से काफी कुछ सीखने को मिला। उन्हें बारीकी से देखने का अवसर मिला कि वे मैचों के लिए कैसे तैयार होते हैं, कैसे खुद को मानसिक और शारीरिक रूप से फिट रखते हैं। मीडिया और कैमरे के सामने खुद को कैसे प्रजेंट करते हैं। दुनिया के बेस्ट कोच से कोचिंग लेने का मौका भी मिला।

सवाल: टेबल टेनिस में आपको किन-किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा?
जवाब: मुझे टेबल टेनिस के लिए 12 साल की उम्र में घर छोड़ना पड़ा। मैं अकेला बच्चा हूं और कोई भाई-बहन नहीं है। ऐसे में पेरेंट्स के लिए भी यह काफी मुश्किल रहा। मैं राजकोट (गुजरात) से हूं। खेल में रुचि देखते हुए पेरेंट्स ने अजमेर स्थित पीएसपीबी एकेडमी में एडमिशन करवा दिया। मैं वहीं हॉस्टल में रहता। अकेले यात्रा करनी पड़ती। पढ़ाई और प्रैक्टिस के बीच संतुलन बनाना पड़ता। कोई गाइडेंस देने वाला नहीं था। मम्मी-पापा की याद आने पर खूब रोता। शाकाहारी होने के कारण भी काफी समस्या होती थी। लेकिन प्रोटीन को पूरा करने के लिए मैंने अंडे-चिकन खाना शुरू कर दिया था।

कॉमनवेल्थ गोल्ड मेडलिस्ट मणिका को हरा चुकी हैं अर्चना

सवाल: आप यूथ ओलिंपिक गेम्स के सेमीफाइनल तक पहुंचने वाली पहली भारतीय हैं। ऐसे में क्या दबाव बढ़ गया?
जवाब: यूथ ओलिंपिक में सेमीफाइनल तक पहुंचना मेरे लिए सपने के पूरा होने जैसा है। इसने आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। ऐसे प्रदर्शन से भविष्य के लिए मोटिवेशन मिलता है।

सवाल: आपने टेबल टेनिस की शुरुआत कैसे की? इस खेल को ही क्यों चुना?
जवाब: खेल से मेरे पेरेंट्स का दूर-दूर तक नाता नहीं रहा है। मेरे पापा आंखों के डॉक्टर हैं। एक बार छुटि्टयों में मैं और मेरा भाई अंकल के घर मैंगलूर गए थे। वहां पर अंकल ने टेबल टेनिस के बारे में बताया। उनके घर पर टेबल टेनिस बोर्ड था। उन्होंने ही हमें खेलना सिखाया। सच कहूं तो शुरुआत में मुझसे ज्यादा मेरे भाई को यह खेल पसंद आया था। वह जब भी फ्री होता, तो मुझे टेटे खेलने बुला लेता। मुझे यह खेल इसलिए भी बहुत पसंद है क्योंकि यह दुनिया का दूसरा सबसे तेज खेल है। इसमें स्किल की बहुत जरूरत होती है।

सवाल: अल्टीमेट टेबल टेनिस लीग से आपके खेल में क्या बदलाव आया? सीनियर नेशनल में कॉमनवेल्थ गेम्स की मेडलिस्ट मणिका बत्रा को हराया था। उनके लिए क्या रणनीति बनाई थी?
जवाब: लीग में मुझे दुनिया के टॉप रैकिंग के खिलाड़ियों के साथ खेलने का मौका मिला। मणिका मेरी प्रेरणा स्त्रोत रही हैं। उनसे सीनियर नेशनल और लीग में खेलने का मौका मिला, मैं जीतने में सफल रही। उनके लिए कोई खास रणनीति नहीं बनाई थी। सिर्फ अपने नेचुरल खेल पर ही फोकस किया।

सवाल: टेबल टेनिस में आपको किन-किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा?
जवाब: मुझे सबसे ज्यादा संघर्ष यूथ ओलिंपिक के क्वालिफाइंग के दौरान करना पड़ा। मैं अंत में जाकर क्वालिफाई कर पाई। ऐसे में मैं काफी निराश भी हो गई थी। लेकिन फेडरेशन और कोच ने मुझ पर विश्वास बनाए रखा।

सवाल: आप खुद को फिट रखने के लिए क्या करती हैं?
जवाब: हमें ट्रैवल ज्यादा करना पड़ता है। ऐसे में शेड्यूल में उसके मुताबिक परिवर्तन होता है। लेकिन सामान्य दिनों में 3 घंटे सुबह और 3 घंटे शाम को अभ्यास करती है। इसके बीच के समय में फिटनेस सेशन ज्वाइन करती हूं। वहीं मानसिक रूप से स्ट्राॅन्ग रहने के लिए पॉजिटिव चीजों पर ध्यान देती हूं।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
मानव ठक्कर ने कहा- मैं हमेशा सकारात्मक सोचता हूं और अपने खेल पर ध्यान देता हूं। -फाइल

https://ift.tt/2REZJDD by Dainik Bhaskar,,327 via Dainik Bhaskar By :Buy all Brands Teniss Accessories Gawin Sports At Ver Cheap Rates

Post a Comment

0 Comments